Tuesday, June 9, 2009

नेपाली संसदीय समिति ने किया कुसहा का दौरा

इनरुआ, नेपाल। वशिष्ठ कंस्ट्रक्शन कंपनी द्बारा काम पूरा हो जाने का दावा करते हुए कुसहा से बोरिया बिस्तर समेट लेने के छह दिन बाद नेपाल की एक संसदीय समिति ने तटबंध का दौरा किया। इस नेचुरल रिसोर्सेज एंड मीन्स कमेटी ने भी सर्वेक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा है कि काम अभी पूरा नहीं हुआ है। शांता चौधरी की अध्यक्षता वाली इस 13 सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पूर्वी तटबंध के प्रकाशपुर, राजा बास तथा पुलठेंगौड़ा इलाके हाई रिस्क जोन में हैं। समिति के सदस्य और पूर्व जल संसाधन मंत्री लक्ष्मण घिरमिरे ने बताया कि मानसून के दौरान कोई बड़ा हादसा हो सकता है। घिरमिरे ने कहा हमें यहां का काम देखकर तसल्ली नहीं हुई। भारतीय ठेकेदारों का काम पारदर्शी नहीं है। वहीं समिति के अध्यक्ष ने कहा है कि हमने इस बारे में भारत और नेपाल दोनों सरकारों को सूचित कर दिया है। गौरतलब है कि तटबंध के मरम्मत में जुटी वशिष्ठ कंपनी ने 1 जून को मरम्मत का काम पूरा होने की घोषणा कर दी थी, जबकि सथानीय प्रशासन के मुताबिक अभी काफी काम बचा था।

कोसी तटबंध की मरम्मत में हैरतअंगेज लापरवाही


काम अधूरा छोड़ लौट गई कंस्ट्रक्शन कंपनी

कोसी क्षेत्र के लाखों लोगों की जान के साथ एक बार फिर खिलवाड़ किया जा रहा है। 18 अगस्त, 2००8 को आए भीषण जल प्रलय के बाद कुसहा के पास टूटे तटबंध की मरम्मत में जुटी कंस्ट्रक्शन कंपनी वशिष्ठ अपना काम अधूरा ही छोड़कर लौट गई है। कंपनी का दावा है कि उसने तटबंध के मरम्मत का काम पूरा कर लिया है मगर मरम्मत स्थल पर काम की देखरेख करने वाले सुनसरी जिला प्रशासन अधिकारी के मुताबिक अभी काम पूरा नहीं हुआ है, लगभग 15 दिनों का काम अभी बांकी है। सुनसरी के मुख्य जिलाधिकारी हरि कृष्ण उपाध्याय बताते हैं कि हमें इस बात की जानकारी तो नहीं है कि उन्होंने काम क्यों अधूरा छोड़ दिया। मगर अपने अनुभव से यह जरूर कह सकते हैं कि अभी तटबंध के मरम्मत में कम से कम 15 दिन और लगेंगे। उन्होंने कहा कि कंपनी द्बारा इस तरह अचानक काम छोड़ देने को लेकर बिहार राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग को कोई न कोई कदम उठाना चाहिए। जाहिर है इस बात को लेकर नेपाल में काफी चिंता है क्योंकि तटबंध टूटने की स्थिति में नेपाल की जनता सबसे पहले बाढ से प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि कंपनी तय समय 31 मार्च के बाद दो माह तक अपना काम पूरा नहीं कर पाई थी और इस वजह से उसे रोज नेपाल सरकार को हर्जाना चुकाना पड़ रहा था। उनके अचानक इस तरह चले जाने के पीछे यह एक वजह हो सकती है। इस बीच स्थानीय स्तर पर यह चर्चा भी है कि कंपनी ने बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग को रिश्वत देकर काम पूरा होने का प्रमाणपत्र हासिल कर लिया है। बहरहाल सच्चाई जो भी हो मगर कोसी इलाके के लाखों लोग अभी पिछली त्रासदी से उबर भी नहीं पाए थे कि उनका जीवन जल संसाधन मंत्रालय की लापरवाही के कारण एक बार फिर मौत के जाल में फंसने जा रहा है।

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